✒️ लोकतंत्र को खतरा
✒️✒️ लोकतंत्र को खतरा
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पूंजीवाद और जातिवाद से
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आज आप देख रहे हैं लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद और विधायक बनना गरीब और कम जनसंख्या वाले व्यक्ति के लिए सपना की तरह हो गया है।।
क्योंकि अर्थ तंत्र हावी हो गया है मतलब कोई नेता अपनी प्रसिद्ध काम के आधार पर नहीं बनाता बल्कि पैसे के दम पर बनाता है लोग पैसे के आकर्षण में वास्तविक लोकतंत्र के प्रति हम समर्पित कार्यकर्ता को खो देते हैं परिणाम आज भी संवैधानिक व्यवस्था सम्पूर्ण कायम नहीं की जा सकी है।।
इसी तरह जातिवाद के आगे वास्तविक कार्यकर्ता बौना है उसके काम के आधार पर नहीं बल्कि जाती के आधार पर बोट दे रहे हैं जबकि वह जातिवादी नेता आपको सौदा कर रहे हैं एक से बिकते हैं उससे ऊबने के बाद दूसरे से बिकने लगते हैं।।
यह जातिवादी और पूंजीवादी नेता कभी संवैधानिक व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के पक्ष नहीं बल्कि राजनीति को परिवार की बपौती समझते हैं।।
परिणाम जो देश समाज के लिए कुछ कर सकता है वह सिर्फ दरी बिछाने तक सीमित रह जाता है।।
आज पूंजीवादी और जातिवादी सोच के कारण ही 60% संसद और विधायिका में अपराधी प्रवृत्ति के लोग पहुंच रहे हैं।।
उन शेरों से बकरी कब खैर मनाएगी चिंतन करें।।
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जनता को वास्तविक उत्तम राष्ट्र समाज का निर्माण करना है तो हमें पूंजीवादी और जातिवादी मानसिकता को छोड़कर संवैधानिक उत्तम नेताओं को चयन करना होगा तभी एक अखंड प्रभुत्व सम्पन्न भारत का निर्माण कर पाएंगे।।
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जय भारत जय भारतीय लोकतंत्र की।।